ब्रज रज उत्सव में ब्रज की संस्कृति का कराया गया दर्शन

ब्रज रज उत्सव में ब्रज की संस्कृति का कराया गया दर्शन 
ब्रज संस्कृति की अखिल भारतीय व्याप्ति पर राष्ट्रीय गोष्ठी का हुआ आयोजन
   मथुरा। ब्रज रज उत्सव में ब्रज संस्कृति की अखिल भारतीय व्याप्ति विषय पर राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन हुआ, गोष्ठी में विद्वानों ने ब्रज की परंपरा, साहित्य, भक्ति और सांस्कृतिक विरासत पर अपने विचार प्रस्तुत किए, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा धौली प्याऊ स्थित रेलवे ग्राउंड पर आयोजित गोष्ठी के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र ने ब्रज से जुड़े अपने प्रेरणादायक अनुभव साझा किए । 
  उन्होंने कहा, “ब्रज की भूमि चमत्कारिक है,  ब्रज का विस्तार हरियाणा और राजस्थान तक फैला है। इसकी सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक परंपरा अद्वितीय है।” विशिष्ट अतिथि मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्याम बहादुर सिंह ने कहा कि ब्रज में भक्ति का भाव ही जीवन का सार है। यहाँ जो डूबेगा वही पाएगा। वक्ताओं के रूप में गोष्ठी की शुरुआत वृंदावन शोध संस्थान से डा. राजेश शर्मा ने ब्रज भक्ति साहित्य के साधक संतों, उनके आगमन और मंदिर निर्माण के ऐतिहासिक संदर्भों पर रोचक जानकारी साझा की। 
  उन्होंने वृंदावन के वैभव पर चर्चा करते हुए कहा कि यहां देश भर की रियासतों ने कुंजों का निर्माण कराया है। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों से यहां आए संतों पर भी चर्चा की। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. ओमेन ने ब्रज और मणिपुर के आध्यात्मिक संबंधों पर प्रकाश डालते हुए मणिपुर में कृष्ण भक्ति की गहरी परंपराओं का उल्लेख किया।  डा. नृत्य गोपाल हंसराज महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय ने बताया कि ब्रज संस्कृति की भावनाएं सम्पूर्ण भारतवर्ष में व्याप्त हैं और यह देश की सांस्कृतिक एकता का सशक्त प्रतीक है।
   गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डा0 ललित बिहारी गोस्वामी ने स्वामी हरिदास और हित हरिवंश की परंपरा को ब्रज की आध्यात्मिक धरोहर बताया, डा0 उमेश शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। अतिथियों का परिचय गीता शोध संस्थान के समन्वयक सी0पी0 सिकरवार ने कराया, इस अवसर पर डिप्टी सीईओ सतीश चंद्र, सहायक अभियंता आर.पी. यादव, बीएसए कॉलेज के प्राचार्य डा. ललित मोहन शर्मा, और प्रो. दिनेश खन्ना, डा एसके राय, डा धर्मेंद्र चौधरी, डा रुचि, डा सुनीता शर्मा, डा अंकुश आदि मौजूद रहे ।

 

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