पाण्डुलिपि संरक्षण : वृंदावन शोध संस्थान ने किया एमओयू साइन

पाण्डुलिपि संरक्षण : वृंदावन शोध संस्थान ने किया एमओयू साइन 
-श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के साथ मिलकर करेंगे शोध 
  मथुरा । वृन्दावन शोध संस्थान, वृन्दावन एवं श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के मध्य पाण्डुलिपि संरक्षण एवं शोध हेतु समझौता ज्ञापन सम्पन्न हो गया है, संस्कृत भाषा, साहित्य एवं भारतीय ज्ञान परम्परा के संरक्षण एवं संवर्द्धन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए वृन्दावन शोध संस्थान, वृन्दावन (मथुरा) एवं श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के मध्य पाण्डुलिपि संरक्षण, संवर्धन एवं शोध के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन (एमओयू) सम्पन्न हुआ ।
    इस समझौते का उद्देश्य भारतीय प्राचीन ज्ञान विज्ञान के अमूल्य भंडार पाण्डुलिपियों के वैज्ञानिक संरक्षण, डिजिटलीकरण, पाठ्यक्रम संचालन तथा उनके गहन शोध को प्रोत्साहन देना है, एमओयू पर विश्वविद्यालय की ओर से कुलसचिव सन्तोष कुमार श्रीवास्तव एवं वृन्दावन शोध संस्थान की ओर से निदेशक डॉ0 राजीव द्विवेदी ने हस्ताक्षर किए। वृन्दावन शोध संस्थान के निदेशक डॉ राजीव द्विवेदी ने कहा, संस्थान में तीस हजार दुर्लभ पांडुलिपियों संग्रहित हैं, जिन पर शोध की अपार संभावनाएं हैं। 
  पांडुलिपियां विभिन्न विषयों एवं भाषाओं पर जैसे ज्योतिष, आयुर्वेद, साहित्य, दर्शन, संस्कृत, बंगला, उड़िया एवं गुरुमुखी आदि पर उपलब्ध हैं। एमओयू के माध्यम से इन पाण्डुलिपियों का वैज्ञानिक संरक्षण, डिजिटलीकरण एवं शोधार्थियों के लिए सुलभ अध्ययन की व्यवस्था की जाएगी। दोनों संस्थानों के बीच यह समझौता न केवल पाण्डुलिपि विज्ञान की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, बल्कि यह ‘संरक्षण से संवर्धन’ की भावना को भी साकार करता है। 
    इस दौरान विश्वविद्यालय के शैक्षणिक डीन प्रो0 भागीरथी नन्द, आईक्यूएसी निदेशक प्रो0 देवीप्रसाद त्रिपाठी, साहित्य संस्कृति पीठप्रमुख प्रो0 कल्पना जैन, आधुनिक विषय पीठ प्रमुख, प्रो0 मीनू कश्यप, दर्शनशास्त्र पीठप्रमुख, प्रो0 एएस आरावमुदन, पुराण पीठप्रमुख, प्रो0 शीतला प्रसाद शुक्ल, डीएसडब्ल्यू, प्रो0 मार्कण्डेयनाथ तिवारी, शोध विभागाध्यक्ष, प्रो0 विष्णुपद महापात्र, पुरालिपि एवं पाण्डुलिपि विज्ञान पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ0 विजय गुप्ता, हिन्दू अध्ययन के सहायकाचार्य डॉ0 जीवन जोशी, वृन्दावन शोध संस्थान से वरिष्ठ शोध एवं प्रकाशन सहायक डॉ0 करुणेश उपाध्याय उपस्थित रहे।

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