लखनऊ में ट्रैफ़िक की गंभीर समस्या-कुछ सुधारात्मक सुझाव
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ट्रैफ़िक की गंभीर समस्या-कुछ सुधारात्मक सुझाव
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक पहचान के लिए जानी जाती है। परंतु पिछले कुछ वर्षों में यह शहर एक और वजह से चर्चा में रहा है — तेज़ी से बढ़ती ट्रैफ़िक समस्या। विकास की गति और जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ लखनऊ की सड़कों पर वाहनों का दबाव इतना बढ़ चुका है कि ट्रैफ़िक जाम अब नागरिकों के दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुका है ।
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@समस्या का विश्लेषण
1. वाहनों की अत्यधिक वृद्धि : लखनऊ में हर वर्ष लाखों नए वाहन रजिस्टर्ड होते हैं, परंतु सड़कों की चौड़ाई और संख्या उसी अनुपात में नहीं बढ़ पाई, परिणामस्वरूप, मुख्य मार्ग जैसे हज़रत गंज, चारबाग, गोमतीनगर, शहीद पथ, आलमबाग, और अलीगंज में हर समय जाम की स्थिति बनी रहती है।
2. यातायात प्रबंधन की कमजोरी : ट्रैफ़िक पुलिस बल की संख्या शहर के वाहनों की तुलना में अत्यंत कम है। कई चौराहों पर ट्रैफ़िक सिग्नल काम नहीं करते या गलत टाइमिंग पर चलते हैं, जिससे जाम की स्थिति और बिगड़ती है।
3. अवैध पार्किंग और सड़क पर अतिक्रमण : दुकानदारों और स्थानीय निवासियों द्वारा सड़कों पर कब्ज़ा कर लेने से यातायात का प्रवाह बाधित होता है, मल्टीलेवल पार्किंग की योजनाएँ बन तो जाती हैं, परंतु कई जगहों पर, जैसे इकाना स्टेडियम क्षेत्र, आज तक निर्माण अधूरा पड़ा है।
4. सार्वजनिक परिवहन की कमी : मेट्रो रेल और बस सेवा होने के बावजूद, सार्वजनिक परिवहन प्रणाली पर्याप्त और सुगठित नहीं है। अधिकांश लोग निजी वाहन से यात्रा करना अधिक सुविधाजनक मानते हैं।
5. अविकसित ट्रैफ़िक अनुशासन : वाहन चालकों द्वारा सिग्नल तोड़ना, हेलमेट न पहनना, गलत दिशा में चलना, और मोबाइल पर बात करते हुए वाहन चलाना जैसी आदतें लखनऊ के ट्रैफ़िक को अव्यवस्थित करती हैं।
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@परिणाम
• समय और ईंधन की बर्बादी
• वायु प्रदूषण में वृद्धि
• दुर्घटनाओं की बढ़ती दर
• आपातकालीन सेवाओं में बाधा (एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड को रास्ता नही मिलना)
• नागरिकों में तनाव और मानसिक थकान
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@सुधारात्मक सुझाव
1. सख़्त ट्रैफ़िक प्रबंधन:
– ट्रैफ़िक पुलिस बल की संख्या बढ़ाई जाए।
– सभी प्रमुख चौराहों पर आधुनिक सीसीटीवी और आर्टिफ़िकल इंटेलिजेंस आधारित ट्रैफ़िक मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए जाएं।
2. मल्टीलेवल पार्किंग और स्मार्ट पार्किंग सिस्टम:
– प्रत्येक व्यावसायिक क्षेत्र और स्टेडियम जैसे भीड़-भाड़ वाले इलाक़ों में पार्किंग की स्पष्ट व्यवस्था हो।
– पार्किंग शुल्क को डिजिटली नियंत्रित किया जाए ताकि अवैध वसूली न हो।
3. सार्वजनिक परिवहन का सशक्तीकरण:
– मेट्रो और इलेक्ट्रिक बसों की संख्या बढ़ाई जाए।
– उपनगरों से शहर के भीतर आने के लिए फीडर बस सेवाएँ शुरू की जाएँ।
4. अतिक्रमण हटाने और सड़क चौड़ीकरण:
– नियमित अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया जाए।
– पुराने बाजारों की सड़कों को पुनः डिज़ाइन कर एक-तरफ़ा मार्ग बनाया जाए।
5. जनजागरूकता अभियान:
– स्कूलों, कॉलेजों और दफ्तरों में ट्रैफ़िक नियमों पर कार्यशालाएँ आयोजित की जाएँ।
– मीडिया के माध्यम से ट्रैफ़िक अनुशासन को सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में प्रस्तुत किया जाए।
6. स्मार्ट सिटी योजना का प्रभावी क्रियान्वयन:
– “स्मार्ट ट्रैफ़िक मैनेजमेंट सिस्टम” को प्राथमिकता दी जाए।
– भीड़ नियंत्रण के लिए डिजिटल सिग्नल टाइमिंग और रियल-टाइम जाम सूचना ऐप्स विकसित किए जाएँ।
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@निष्कर्ष
लखनऊ का विकास तभी सार्थक होगा जब उसके नागरिक और प्रशासन दोनों मिलकर यातायात की समस्या को गंभीरता से लें। शहर का सौंदर्य, नागरिकों का स्वास्थ्य और आर्थिक प्रगति — सभी ट्रैफ़िक व्यवस्था पर निर्भर हैं इसलिए अब समय आ गया है कि लखनऊ सिर्फ “नवाबों का शहर” नहीं, बल्कि “सुव्यवस्थित ट्रैफ़िक वाला आधुनिक शहर” के रूप में भी जाना जाए।
साभार : शिखर अधिवक्ता उच्च न्यायालय लखनऊ पीठ।







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