युवाओं को दिशा नहीं, दिशाहीनता दे रहे हैं 2 जीबी डेटा प्रतिदिन वाले प्लान

युवाओं को दिशा नहीं, दिशाहीनता दे रहे हैं 2 जीबी डेटा प्रतिदिन वाले प्लान
   आज के डिजिटल युग में जहाँ तकनीक मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है, वहीं सस्ते डेटा प्लान और इंटरनेट की अंधाधुंध उपलब्धता ने युवाओं के मन-मस्तिष्क पर गहरा असर डाला है, विशेष रूप से “2 जीबी प्रतिदिन डेटा वाले मोबाइल प्लान” युवाओं के लिए वरदान नहीं, बल्कि धीरे-धीरे एक अभिशाप सिद्ध हो रहे हैं, यह केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं रह गया, बल्कि यह युवाओं को उनके उद्देश्य, करियर और भविष्य से भटका रहा है ।

@युवाओं का समय अब इंटरनेट का कैदी
   दिनभर सोशल मीडिया पर रील्स, शॉर्ट वीडियो और गेम्स में डूबे रहने वाले युवा अब ज्ञान, अध्ययन और विचार से कोसों दूर हो चुके हैं, 2 जीबी डेटा रोज़ाना समाप्त करने की होड़ में वे हर दिन अपने अमूल्य समय को गंवा रहे हैं, पहले जहाँ एक छात्र दिनभर में कुछ घंटे पढ़ाई में लगाता था, वहीं अब वही छात्र घंटों इंस्टाग्राम, यूट्यूब और ऑनलाइन गेम्स पर खर्च करता है ।

@मनोवैज्ञानिक असर और सोच की गिरावट
   अत्यधिक इंटरनेट उपयोग ने युवाओं में अधीरता, एकाग्रता की कमी और आलोचनात्मक सोच की समाप्ति जैसी समस्याएँ पैदा कर दी हैं, वे अब वास्तविकता से कटते जा रहे हैं, उनके संवाद का माध्यम अब प्रत्यक्ष नहीं, बल्कि आभासी (virtual) हो गया है, इससे ना केवल उनका सामाजिक जीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि वे मानसिक तनाव, अवसाद और आत्मकेंद्रित प्रवृत्ति का भी शिकार बन रहे हैं ।

@भविष्य पर संकट की घंटी
  भारत की युवा शक्ति जिसे “डेमोग्राफिक डिविडेंड” कहा जाता है, वही अब डिजिटल व्यसन का शिकार होकर राष्ट्र की प्रगति में बाधक बनती जा रही है, जहाँ युवाओं को देश के निर्माण की दिशा में योगदान देना चाहिए था, वहीं वे “वायरल वीडियो” और “फॉलोअर्स बढ़ाने” की दौड़ में लगे हैं, यह प्रवृत्ति केवल व्यक्तिगत हानि नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चिंता का विषय है ।

@सरकार से निवेदन : इस नीति पर करे पुनर्विचार
   सरकार से निवेदन है कि वह इन सस्ते और अत्यधिक डेटा उपलब्ध कराने वाली योजनाओं पर पुनर्विचार करे, डेटा पर उचित सीमा और नियंत्रण आवश्यक है, ताकि युवा वर्ग उसका उपयोग अध्ययन, रोजगार और ज्ञानवृद्धि के लिए करे, ना कि मनोरंजन के व्यसन के लिए, शिक्षा मंत्रालय और दूरसंचार विभाग को मिलकर ऐसी नीति बनानी चाहिए जिसमें डेटा के दुरुपयोग को रोका जा सके और युवाओं को डिजिटल अनुशासन सिखाया जा सके ।

@डेटा नहीं, दिशा चाहिए
   आज भारत के युवाओं को 2 जीबी डेटा नहीं, बल्कि 2 घंटे की एकाग्रता और दिशा की ज़रूरत है, यदि समय रहते सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए तो एक पूरी पीढ़ी अपने उद्देश्य और पहचान दोनों से भटक जाएगी, यह केवल युवाओं की नहीं, बल्कि राष्ट्र के भविष्य की भी बेहद ही निंदनीय और चिंताजनक स्थिति है ।

शिखर अधिवक्ता उच्च न्यायालय लखनऊ पीठ।

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