बंग्लादेश में हिन्दुओं को निशाना बनाने से फूटा आक्रोश, किया विरोध प्रदर्शन

बंग्लादेश में हिन्दुओं को निशाना बनाने से फूटा आक्रोश, किया विरोध प्रदर्शन
   मथुरा । मंगलवार को बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हो रहे अत्याचारों के विरोध में वृंदावन स्थित चिंतामणि कुंज के सामने तीखा आक्रोश व्यक्त किया गया, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के आह्वान पर साधु-संतों और सामाजिक प्रतिनिधियों ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस का पुतला दहन कर बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रहे जुल्म की कड़ी निंदा की, प्रदर्शन के दौरान पूरा वातावरण विरोध और चेतावनी के स्वर से गूंज उठा । 


  श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद केस के हिंदू पक्षकार एवं श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने कहा कि “बांग्लादेश अपनी हरकतों से बाज आए, वहां हिंदुओं पर जो अत्याचार किए जा रहे हैं, वह किसी भी सभ्य समाज के लिए स्वीकार्य नहीं हैं, कहा कि हिंदू समाज को अब बिखरने के बजाय एकजुट होकर अपने अधिकारों और सम्मान के लिए खड़ा होना होगा, चिंतामणि कुंज के पीठाधीश्वर डॉ0 आदित्यानंद महाराज ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक हैं और उन्हें योजनाबद्ध तरीके से डराया-धमकाया जा रहा है, यह मानवता पर कलंक है और इसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम है ।


   महामंडलेश्वर श्रीकृष्णानंद महाराज ने कहा कि बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतें हिंदुओं को निशाना बना रही हैं, यह केवल किसी एक देश का नहीं, बल्कि पूरे हिंदू समाज का प्रश्न है, कहा कि हिंदुओं को संगठित होकर अन्याय के खिलाफ खड़ा होना ही होगा, पद्मश्री लक्ष्मी गौतम ने मातृशक्ति से आह्वान करते हुए कहा कि महिलाओं को आगे आकर बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज बुलंद करनी चाहिए, उन्होंने कहा कि जब समाज की महिलाएं एकजुट होती हैं, तब परिवर्तन निश्चित होता है । 
   संत दशरथनंद महाराज और संत श्यामानंद महाराज ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रहा व्यवहार निंदनीय है, यदि आज हिंदू समाज एकजुट नहीं हुआ, तो आने वाले समय में स्थिति और गंभीर हो सकती है, विरोध प्रदर्शन में साध्वी शकुंतला, हनुमान टेकरी के महंत दशरथ दास महाराज, महामंडलेश्वर श्रीकृष्णानंद महाराज, संत श्यामानंद महाराज, श्यामसुंदर ब्रजवासी, इस्कॉन के बाबा बलरामदास महाराज, देवानंद महाराज, रामदास महाराज, कथावाचक अतुल कृष्ण शास्त्री, छवि वार्ष्णेय, राधा मोहन और डॉ0 राम सहित बड़ी संख्या में संत-महंत व सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे ।

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